Saturday, October 2, 2010

क्यों चलता है ये वक़्त इतना तेज..........


कभी कभी
एक प्रश्न गूंजता है मन  में,
कुछ पुराने ,
न भूलते चेहरों के लिए,
ह्रदय पूछ लेता है "क्या तुम उनसे फिर कभी मिल पाओगे?"
प्रश्न सामान्य ही है|
पर उत्तर मष्तिष्क देता है;
अपने अनुभव,गणनाओं ,सूत्रों और
निर्भीक सत्यता के आधारों पे..."अब शायद कभी नहीं  "
ये सामान्य नही होता!
एक सिहरन सी दौड़ जाती है शरीर में;
 बेचैनी,घुटन सी होने लगती है साँसों में;
फिर याद आने लगते हैं वो चेहरे;
रोंगटे खड़े हो जाते है..इस उत्तर से!
बहुत ही झुंझलाकर मन कहता  है:
"क्यों इतनी दूर चले आये हम? "

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