मन के चीत्कारों को दबाये गहरी श्वास सी;
आम रास्तों में गली एक ख़ास सी|
कुछ बेचैनी है सोच के जंजाल में अभी;
उल्लासित अभिनय पर आँखें उदास सी|
कर लिया है ज़द में समंदर भी अब तो;
बाकी है फिर भी जन्मो की प्यास सी|
अँधेरे भी कट जाते हैं नूर की चाहत में यूँ तो
पर खामोशियो में गूंजे है तेरी आवाज़ सी.....
अँधेरे भी कट जाते हैं नूर की चाहत में यूँ तो
ReplyDeleteपर खामोशियो में गूंजे है तेरी आवाज़ सी.
सुन्दर अभिव्यक्ति