पतझर भी अजीब थे,बरसात भी अजीब हैं;
लोग भी अजीब हैं,उनकी बात भी अजीब हैं|
बदलते हैं बस बयार के मयार पे ही;
आदमी अजीब हैं,और जात भी अजीब हैं|
ना आया लौट कर फिर,जो हमराही था मेरा
उसकी कसमें अजीब हैं, वायदात भी अजीब हैं|
फासलों से नही है शिकायतें अब किसी को ;
वो दूर भी अजीब थे ,वो पास भी अजीब हैं|
कब तक गीतों की राहें देखीं जाएँ अब?
वो धुन भी अजीब थीं, वो साज़ भी अजीब हैं|
जब परखा ही नही तुमने कभी ,तो तुम्हारे लिए,
हम कल भी अजीब थे हम आज भी अजीब हैं.............
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