Tuesday, October 26, 2010

अरुंधती राय के लेख के विरुद्ध याचना...

 अरुंधती राय को तो बस एक ही पद से सम्मानित  करना चाहिए "राष्ट्रद्रोही"|
 मेरे विचार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इतनी भी नही होनी चाहिए कि अपनी ही धरा के विरुद्ध अशोभनीय लेख लिखते रहें|
जिस धरती से रोटी मिली उस पर ही जहर उगलने वाले लोग हैं ये,उनका लेख बस उनका मानसिक दिवालियापन ही दर्शाता है| इनता कृत्य शायद भारत के अतिरिक्त कहीं भी क्षम्य नही होगा| यहाँ भी नही होना चाहिए क्यों कि यह विष पान करने जैसा है!
मेरा  सभी भारतीय रचनाकारो से निवेदन है कि इसका प्रतिउत्तर आप ही अपनी शैली में अरुंधती जी  को दीजिये!
आप ही  भारतीयता एवं भारतीय लेखन शक्ति के दुर्पयोग को रोक सकते हैं|नही तो अभिव्यक्ति का अधिकार इस राष्ट्र के लिए अभिशाप से कम न होगा.......

1 comment:

  1. बिलकुल सही कहा। लगता है ऐसे लोगों को आज़ादी हज़्म नही हो रही असल मे अधिक स्वतंत्रता भी हमारे लिय घातक साबित हो रही है। घर मे भी अगर बच्चों को खुला आज़ाद छोड दें तो वो क्या गुल खिलायेंगे कोई भी समझ सकता है। इस लिये केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का रोना रोने वालों को क्या इसके कोई नुकसान नही दिखते? अच्छा लगा आपका आलेख। शुभकामनायें।
    बन्द कर दो वो जुबान जो राष्ट्रद्रोह को जगाती
    नही चाहिये जो देश को मिटा दे वो आज़ादी

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