Monday, February 28, 2011

तुझसे रूठने का जब भी ख्याल करता हूँ...............

कभी खुद से मैं ये भी सवाल करता हूँ ,
क्यूँ आखिर मैं अपना ये हाल करता हूँ?

नसीब रूठ जाता है मेरा मुझसे यूँ कभी,
तुझसे रूठने का जब भी  खयाल  करता हूँ|
उनके लिए झगडे पालना, शौक है मेरा,
और वो कहते हैं कि मैं बवाल करता हूँ |

गिर के खुद ही इश्क में मशहूर हो गया,
लोग भी कहते हैं  "मैं कमाल करता हूँ"|

..............-पुष्यमित्र उपाध्याय

3 comments:

  1. उनके लिए झगडे पालना, शौक है मेरा,
    और वो कहते हैं कि मैं बवाल करता हूँ |....kabhi rok ke jawaab talab karo :-)

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  2. Hey buddy...
    Nice to see you here as writing something which is not so popular in these scenario...
    I have got your link by FB ...
    Your poetry came into the past memories, and sometime it feels to realize about the present ...
    Keep Writing ...

    Your Well Wisher,
    Tarun Nema

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