Tuesday, June 19, 2012


2 comments:

  1. पुष्यमित्र जी, बड़े कला-प्रेमी लगते हैं आप. आपकी कवितायेँ सराहनीय हैं; काव्य की मात्राओं और छंद पर थोडा और काम करें तो मधुरता और बढाई जा सकती है.

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  2. मैं स्वातिजी से सहमत हूँ ।

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