Wednesday, October 15, 2014

न मालूम क्या तिरे मान-ओ-फितरत थे?
हम तेरी चाह थे या कोई जरुरत थे?

मेरे हिस्से मेँ न था वजूद भी मेरा,
हँसी आती है क्या दौर-ए-गुरबत थे..

तुम्हेँ किस तरह भूल जाऊँ मैँ आखिर,
तुम तो मेरी पहली मुहब्बत थे!

तुमसे जब मिला मुस्करा के मिला मैँ,
दर्द के भी क्या हाल-ए-जलालत थे!

क्या याद है तुम्हेँ, बहुत शैतान था मैँ,
और तुम, तुम बहुत खूबसूरत थे.......!
और तुम बहुत खूबसूरत थे....

-पुष्यमित्र

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