न मालूम क्या तिरे मान-ओ-फितरत थे?
हम तेरी चाह थे या कोई जरुरत थे?
मेरे हिस्से मेँ न था वजूद भी मेरा,
हँसी आती है क्या दौर-ए-गुरबत थे..
तुम्हेँ किस तरह भूल जाऊँ मैँ आखिर,
तुम तो मेरी पहली मुहब्बत थे!
तुमसे जब मिला मुस्करा के मिला मैँ,
दर्द के भी क्या हाल-ए-जलालत थे!
क्या याद है तुम्हेँ, बहुत शैतान था मैँ,
और तुम, तुम बहुत खूबसूरत थे.......!
और तुम बहुत खूबसूरत थे....
-पुष्यमित्र
हम तेरी चाह थे या कोई जरुरत थे?
मेरे हिस्से मेँ न था वजूद भी मेरा,
हँसी आती है क्या दौर-ए-गुरबत थे..
तुम्हेँ किस तरह भूल जाऊँ मैँ आखिर,
तुम तो मेरी पहली मुहब्बत थे!
तुमसे जब मिला मुस्करा के मिला मैँ,
दर्द के भी क्या हाल-ए-जलालत थे!
क्या याद है तुम्हेँ, बहुत शैतान था मैँ,
और तुम, तुम बहुत खूबसूरत थे.......!
और तुम बहुत खूबसूरत थे....
-पुष्यमित्र
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