Wednesday, October 15, 2014

ना मिल सका कभी ही जो करार चाहिये था,
वो शख्स हमेँ हम पर निसार चाहिये था..

दिल लीजे दिल दे दीजिये, है तो यही उसूल,
पर तुझे तो इश्क मेँ भी उधार चाहिये था..

तुझे तोडने की कभी भी चाहत ना थी मेरी,
हाँ पर मुझे ऐ चाँद तू बेकरार चाहिये था..

तो ये हुआ कि यार हम मिलकर भी ना मिले,
तुम चाहते थे दिल, मुझे दिलदार चाहिये था..

-पुष्यमित्र

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