था यही अंजाम, अब दिल्ली में रहते हैं,
अपने शहर से नाकाम, अब दिल्ली में रहते हैं..
जलजला-ए-आम थे जो, हाँ कि सर-हंगाम थे जो
वो कहीं गुमनाम अब दिल्ली में रहते हैं...
तेरे जल्वों की कशिश, वो मेरे जज्बों के शज़र
अपने वो किस्से तमाम अब दिल्ली में रहते हैं...
अब वफ़ा ओ बेवफ़ा पे करिए ना हरगिज़ सवाल,
आपके इल्ज़ाम अब दिल्ली में रहते हैं...
उन ख़यालों से ये कहना अब सताएं गैर को,
गए वो जिगर बदनाम, अब दिल्ली में रहते हैं...
वो निगाहों के सवाल, वो चुप्पियों वाले जवाब
वो इश्क़ के सब ताम झाम, अब दिल्ली में रहते हैं..
जो कहीं के भी नहीं रहते जमाने में ए जां,
कहते हैं वो बेनाम, अब दिल्ली में रहते हैं...
-Pushyamitra Updhyay