जिस मौसम में तुम बिछड़े थे
जब शाखें गुलों से महकीं थीं
जब गलियां गलियां बहकीं थीं
जब देख शाम मुस्काती थी
जब राहें सुबह सजाती थी
जिस मौसम में सब मिलते थे
उस मौसम में तुम बिछड़े थे
जब पिघली बर्फ सर्दियों की
जब टूटी नींद बदरियों की
जब नदियां छम छम झूम चलीं
कर तट घाटों के चूम चलीं
जब खिलते गुंचे गुंचे थे
उस मौसम में तुम बिछड़े थे...
जिस मौसम में सब मिलते थे
उस मौसम में तुम बिछड़े थे
#puShyam