Sunday, February 14, 2021

 जिस मौसम में तुम बिछड़े थे


जब शाखें गुलों से महकीं थीं 

जब गलियां गलियां बहकीं थीं

जब देख शाम मुस्काती थी

जब राहें सुबह सजाती थी

जिस मौसम में सब मिलते थे

उस मौसम में तुम बिछड़े थे


जब पिघली बर्फ सर्दियों की

जब टूटी नींद बदरियों की

जब नदियां छम छम झूम चलीं

कर तट घाटों के चूम चलीं

जब खिलते गुंचे गुंचे थे

उस मौसम में तुम बिछड़े थे...

जिस मौसम में सब मिलते थे

उस मौसम में तुम बिछड़े थे

#puShyam