Monday, February 28, 2011

प्यार है वो.....

प्यार है वो,
जो हार कर भी जीत का मज़ा लेता है,
प्यार है वो ,
आग से पानी मांग लेता है,
दर्द से चाहता है कि सुकून दे,
प्यार है वो,
जो जितना किया जाए कम लगता है,
प्यार है वो,
जो हर पल,हर दम लगता है,
प्यार है वो,
जो कभी बोझ नही लगता,
प्यार है वो,
जो शक करता है,
मगर यकीं कभी नही करता,
प्यार है वो,
जिसमें उम्मीदें टूट जातीं हैं,
पर कभी ख़त्म नही होतीं..........

तुझसे रूठने का जब भी ख्याल करता हूँ...............

कभी खुद से मैं ये भी सवाल करता हूँ ,
क्यूँ आखिर मैं अपना ये हाल करता हूँ?

नसीब रूठ जाता है मेरा मुझसे यूँ कभी,
तुझसे रूठने का जब भी  खयाल  करता हूँ|
उनके लिए झगडे पालना, शौक है मेरा,
और वो कहते हैं कि मैं बवाल करता हूँ |

गिर के खुद ही इश्क में मशहूर हो गया,
लोग भी कहते हैं  "मैं कमाल करता हूँ"|

..............-पुष्यमित्र उपाध्याय

Saturday, February 26, 2011

मेरा स्कूल

अनंत दूरी पर खड़ीं हैं,
सभी खुशियाँ मेरी,
ज्यों,
"स्थवः"
के स्वर पर रुकीं हुई सी...
मैं मुड़ता हूँ बरबस...
बैचैनी में बार-बार....
पर उन्हें वहां से हिलने को,
मना हो जैसे..
वे आज भी उतने ही अनुशासित हैं,
जितना 'मैं',
कभी हो न पाया...
एक बड़ा परिसर वो...और गूंजता एक स्वर..."वन्दे...........मातरम"
कुछ चेहरे तुम लोगों के शैतानी भरे..मगर बहुत प्यारे,
धूल के गुबार के पार तालाब के किनारे खड़े एक पेड़ मैं जा फंसा
मेरा 'बचपन'...."मेरा स्कूल": क्या करूँ भूल नही पता हूँ यार!!!!!!!!!!!!
-पुष्यमित्र उपाध्याय

हम भी किसी को बहका रहे हैं...............

पूरा मज़मा खिलाफत में उठ सा गया है, मेरे आगोश में वो क्या आ रहे हैं,
खफा हो रहीं खुद मेरी महफ़िलें हीं, मोहब्बत में आकर जो हम गा रहे हैं |
कैसे समझाएं हम उनकी नादानियों को ,जब खता हमने कोई की ही नहीं है
पहले हम बहकते थे कोई नाम लेकर, आज हम भी किसी को बहका रहे हैं|
                                                                 -पुष्यमित्र उपाध्याय

Friday, February 25, 2011

तुम जब याद आते हो...

भुलाने को तो यूं हर रोज़, तुमको भूलता हूँ मैं,
मगर जब याद आते हो..........बहुत तुम याद आते हो,
इन आँखों में दुनिया को, नहीं अब ढूंढता हूँ मैं,
मगर जब याद आते हो..........बहुत तुम याद आते हो,
तुम्हें दिल से मिटाने को,खुद ही से रूठता हूँ मैं,
मगर जब याद आते हो..........बहुत तुम याद आते हो,
सुकूं की नींद पाने को, रात भर जूझता हूँ मैं,
मगर जब याद आते हो..........बहुत तुम याद आते हो,
कोशिशें लाख मैंने कीं , तरीके पूछता हूँ मैं,
मगर जब याद आते हो..........बहुत तुम याद आते हो,
                                                      -पुष्यमित्र उपाध्याय

Friday, February 4, 2011

दादा आप याद आओगे.....

सौरव  गांगुली जैसे प्रतिबद्ध खिलाड़ी के साथ किया गया ऐसा व्यव्हार काफी शर्मनाक है भारतीय क्रिकेट के लिए....अब मुझे इस खेल और ..इससे सम्बंधित लोगों  में किसी प्रकार का विश्वास नहीं रहा कि भारत की ओर से सर्वाधिक शतक बनाने वाला दूसरा बल्लेबाज़, वर्ल्डकप  में भारत की ओर से सर्वाधिक मैच जीतने वाला कैप्टेन, और वो खिलाडी जिसने सारी दुनिया के सामने अपने देश के क्रिकेट को सम्मान और स्वाभिमान के साथ प्रस्तुत किया.... का अपमान  कर  बाहर निकला जाता है....इस सब से जुड़े लोगों का भविष्य अच्छा नहीं है...और मैं कामना करता हूँ कि ये इस खेल की परिणिति की शुरुआत हो...

Thursday, February 3, 2011

वन्दे मातरम!

चाँद आकाश में निकला हुआ है
है रात आधी बीत गयी,
सन्नाटा है कुछ घरों में, नींद का;
कुछ घरों में बेउम्मीद का...
एक बड़ा सरकारी परिसर,
खुलते हुए तालों की आवाजें
कुछ सांसें, कुछ चालों की आवाजें,
खून से लिपटा चेहरा
चार कदमों के बीच लड़खड़ाते दो कदम,
साथियों की पुकारें, गर्व ज्यादा आंसू कम,
और इन सब को आखिरी विदा देते दो हाथ,
ऊँचे तख़्त पे सजे हैं इंतज़ाम ,
रस्सी एक बाँध रखी है,
एक गाथा मिटाने को,
फिर गूंजता है स्वर......."वन्दे मातरम"
दो आँखें अभी भी आस लगाये देख रहीं हैं
अपने तिरंगे को, सुकून से लहराते हुए,
जिसके लिए खुद सुकून के अर्थ मिटा दिए,
फिर उठते हैं, खयालों के घेरे,
बीते सब दिन अँधेरे,
सारी कोशिश, सारी उम्मीदें
फिर वो रस्सी डाल देता है  गले में, कोई जो पहले अपना ही था,
फिर गूंजता है स्वर.......वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!.....वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!.....वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!.....वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!.....वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!.....वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!......वन्दे मातरम!