सोचता हूँ कि आखिर हम अपनी मान्यताओं के पक्ष में वैज्ञानिक तर्क क्यों देते रहते हैं?
क्या विज्ञान अपने तर्कों को हमारी मान्यताओं से संपुष्ट करता है?
नहीं न?
तो क्या धर्म विज्ञान के अधीन है ?
विज्ञान को धर्म से प्रमाण मांगने का अधिकार केवल तब ही होगा जब वह ( X / 0 ) का वास्तविक मान बता सके!
नहीं तो विज्ञान धर्म को वही समझे जो (X / 0 ) को समझता है!
क्या विज्ञान अपने तर्कों को हमारी मान्यताओं से संपुष्ट करता है?
नहीं न?
तो क्या धर्म विज्ञान के अधीन है ?
विज्ञान को धर्म से प्रमाण मांगने का अधिकार केवल तब ही होगा जब वह ( X / 0 ) का वास्तविक मान बता सके!
नहीं तो विज्ञान धर्म को वही समझे जो (X / 0 ) को समझता है!
"हरि अनंत हरि कथा अनंता"
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