ख़्वाब देखते हो तो देखते ही रहो,
तुम हकीकत से भागते ही रहो...
अभी तक लब्ज़-ए-बयाँ न मिला?
तो उम्र भर सोचते ही रहो...
ये सुर्खियाँ तुम्हारा मुकद्दर नहीं,
ए रंग तुम उडे-उड़े ही रहो...
सुना है मेरे बिना चैन से हो?
तो अब ये करो चैन से ही रहो..
मेरी नींद उड़ाने की सज़ा है ये,
कि अब रात भर जागते ही रहो...
तुम हकीकत से भागते ही रहो...
अभी तक लब्ज़-ए-बयाँ न मिला?
तो उम्र भर सोचते ही रहो...
ये सुर्खियाँ तुम्हारा मुकद्दर नहीं,
ए रंग तुम उडे-उड़े ही रहो...
सुना है मेरे बिना चैन से हो?
तो अब ये करो चैन से ही रहो..
मेरी नींद उड़ाने की सज़ा है ये,
कि अब रात भर जागते ही रहो...
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