तेरे सब ख्वाब संभाल कर रखे हैं मैंने
कही जाता हूँ तो पहन कर चला जाता हूँ
फिर सर्द हवाएं तंग नहीं करती
और
जब लौट आता हूँ थक कर
तो रख कर इन्हें सिरहाने लेट जाता हूँ
सो जाता हूँ
इनसे ग़ुफ़्तगू करते करते
इस तरह नए खाब मुझे सताया नहीं करते
कही जाता हूँ तो पहन कर चला जाता हूँ
फिर सर्द हवाएं तंग नहीं करती
और
जब लौट आता हूँ थक कर
तो रख कर इन्हें सिरहाने लेट जाता हूँ
सो जाता हूँ
इनसे ग़ुफ़्तगू करते करते
इस तरह नए खाब मुझे सताया नहीं करते
No comments:
Post a Comment