रातों को जगती तो होगी
सूने को पढ़ती तो होगी
छुटपन के छज्जे से मुझको
छुप छुपके तकती तो होगी
क्या हूं कैसा कहां हूं अब मैं
हाल पता रखती तो होगी
कोहरे के खाली पन्नों पर
संदेसे लिखती तो होगी
मुझसे लड़कर बातों में वो
आँखों से हंसती तो होगी
रातों को जगती तो होगी
सूने को पढ़ती तो होगी...
#puShyam
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