Saturday, January 16, 2021

 रातों को जगती तो होगी

सूने को पढ़ती तो होगी


छुटपन के छज्जे से मुझको

छुप छुपके तकती तो होगी


क्या हूं कैसा कहां हूं अब मैं

हाल पता रखती तो होगी


कोहरे के खाली पन्नों पर

संदेसे लिखती तो होगी


मुझसे लड़कर बातों में वो

आँखों से हंसती तो होगी


रातों को जगती तो होगी

सूने को पढ़ती तो होगी...


#puShyam

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