कविता एक खूबसरत मुखौटा है,
अपनी दुश्वारियों को कह देने का..
लोग लफ्ज़ों की खूबसूरती में
देख नहीं पाते बदसूरती हालातों की,
और बच जाते हैं हम,
नसीहतों और दिलासों की भीड़ से...
सुकून आ जाता है बस
बयां होने का...
मरहमों से आज़ाद,
जख्म के जावेदां होने का...
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