Friday, January 15, 2021

किसी किस्से के हिस्से से....... 'कहानी'

कितना पढ़ोगी?-मैंने पूछा। वो कंधे पर बैग लिए मुस्कुराती चली आ रही थी , हालांकि लेक्चर्स की थकान उसके चेहरे पर थी। 

"बस थोड़ा सा और" -आते ही बोली और उस छोटे से पेड़ के सहारे बैठ गई, पानी पिया फिर मेरी तरफ देखते हुए बोली -"तुम्हारी क्लास नहीं हुई? "

"नहीं! आज मास बंक था" 

"फिर क्या हुआ किस सोच में हो? " - बालों को ठीक करते हुए उसने कहा 

"कुछ नहीं यार मेरी कहानी खो गई है"

"कौन सी कहानी?" उसने हैरानी सी पूछा

"पता नहीं "- कहते हुए मैं उसके करीब ही बैठ गया

"ओह तो क्या हुआ हमारी कहानी लिखो"

"हमारी कहानी? हमारी कहानी तो न शुरू हुई है न खत्म, न पूरी तरह जान पाया हूँ न समझा हूँ"- मैंने सवालों से उसकी तरफ देखा।

उसने बड़ी संजीदगी से मेरी तरफ देखा और बोली कि- " हर कहानी के दो हिस्से होते हैं, एक को तुम जी रहे हो - एक को मैं ! जिस हिस्से को तुम जी रहे हो उसको तो तुमने समझा ही होगा, और उसका कोई अंजाम भी सोचा होगा, वही लिखो..वही तो नई कहानी है"

"हाँ मगर मेरे हिस्से की कहानी में तो तुम हो" मैंने उसकी चमकती आँखों में देखते हुए कहा - " तुम्हें लिखा तो लिखना पड़ेगा इन गज़ाल सी आँखों का अंदाज़...! तराशनी होगी बेबाक अदाओं की सूरत....! करना पड़ेगा जिक्र इन लबों की सुर्ख़ियों का...! बिठाना पड़ेगा कागज़ पे तुम्हारी आवाज़ के सुरों को...! बयां करना होगा तुम्हारे पुरनूर चेहरे की रौशनी को...! 

और फिर किसी पढ़ने वाले ने इन सब दस्तावेजों से खोज ली तस्वीर तुम्हारी और बसा लिया दिल में तो ? मेरे हिस्से में तो तुम ही हो..सिर्फ तुम.. तुम्हें ही तो जाना है.. समझा है l मैं इसे तो शेयर नहीं करने वाला !

अपने इतने लम्बे डॉयलॉग से जब मैं आज़ाद हुआ तो पाया कि उसकी नज़र मुझ पर ठहरी हुई है, एक अजब सी शिद्द्त उसकी आँखों में उतरी हुई थीl मैं उसकी तरफ देखते हुए ही बोला जा रहा था मगर ये नज़र मुझे अभी महसूस हुई, इस मुहब्बत की नज़र के लिए तो कोई उम्र भर बोलता रहे...उम्र भर गाता रहे.....

वो बिना पलक झपकाए बोली - "अच्छा ?" 

उस पेड़ से पीले कनेर के कुछ फूल आस पास गिर गए थे, एक ठंडी सी खामोशी हम दोनों के बीच थी....वो न जाने मेरे चेहरे पे क्या पढ़ रही थी, और मैं जैसे सारे जवाब देकर बेफिक्र हुआ था...!

खैर नज़र टूटी मगर वो हसीं खामोशी अब तक जवां थी...

"तुम्हारे दोस्त आ गए " - उसने खामोशी को तोड़ते हुए कहा

मैंने मुड़ के देखा तो वे कुछ ही दूरी पर थेl

"चलो अब मैं तो चली मेरे हिस्से की कहानी को छोड़ कर"- वो उठते हुए बोली और चल दी

 कुछ कदम बाद चलते हुए ही मुड़कर मुस्कुराई; और बोली - " मुझे भी अपने हिस्से की कहानी शेयर करना बिलकुल अच्छा नहीं लगता "

कुछ ही पलों में वो काफी दूर जा चुकी थी ...

दोस्त करीब आ गए थे.. उनके मज़ाकिया तंज घुलने लगे थे कानों में.....मगर दिल में अब तक पीले कनेर बरस रहे थे....

किसी किस्से के हिस्से से....... ©


#puShyam

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